ग़ज़ल

मार्च 26, 2023 - 23:50
मार्च 26, 2023 - 23:53
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ग़ज़ल
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हमारे सर पे तब कोई जहाँ होता नहीं था

ज़मीं होती थी लेकिन आसमाँ होता नहीं था

हम अक्सर खेल में हारे हैं उससे इस तरह भी

वहीं पर ढूंढते थे वो जहाँ होता नहीं था

 निकलते थे हमारी बात के मतलब हज़ारों

जो कहना चाहते थे वो बयाँ होता नहीं था

 मैं ख़ाली वक़्त में टूटे सितारे जोड़ता था

तुम्हारा हिज्र ऐसा रायगाँ होता नहीं था

ख़ुदा भी साथ रहता था हमारे इस ज़मीं पर

 ये तब की बात है जब आसमाँ होता नहीं था

हमारी क़ुर्बतें क्या थीं फ़क़त इक वाक़िया थीं

और ऐसा वाक़िया जो दास्ताँ होता नहीं था

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