मंदिर का सायरन बजते ही महाराष्ट्र के इस गांव में बंद हो जाते हैं मोबाइल फोन और TV
महाराष्ट्र के सांगली जिले के वडगांव निवासी दिलीप मोहिते एक गन्ना उत्पादक किसान हैं। उनके तीन बेटे स्कूल में पढ़ते हैं। मोहिते कहते हैं कुछ घंटों के लिए मोबाइल, टीवी बंद करने का असर उन्हें दिख रहा है।
आज की आधुनिक दुनिया में इंसान मोबाइल फोन और टीवी से दूरी की कल्पना भी नहीं कर सकता है। बच्चे, बूढ़े, जवान, महिला और पुरुष हर कोई एक तरह से इस का आदी हो चुका है। ऐसा नहीं है कि लोग इस बात को समझते नहीं हैं कि वह इस लत के शिकार होते जा रहे हैं। सब जानने और समझने के बावजूद लोग मोबाइल और टीवी का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, महाराष्ट्र के सांगली ज़िले की वडगांव की कहानी थोड़ी अलग है। यहां रोजना शाम सात बजे एक सायरन बजता है। सायरन की आवाज गांव वालों के लिए यह आदेश है कि वो अपने मोबाइल फोन और टीवी सेट तुरंत बंद कर दें। इसके ठीक डेढ़ घंटे बाद यानी शाम साढ़े आठ बजे ग्राम पंचायत का सायरन फिर बजता है। इस बार सायरन की आवाज का मतलब होता है गांव के लोग मोबाइल फोन और टीवी सेट दोबारा चालू कर सकते हैं।
इस गांव के मुखिया विजय मोहिते के मुताबिक उन्होंने स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को यह तय किया था कि अब इस लत पर अब लगाम लगाने की आवश्यकता है। फिलहाल सायरन की आवाज से टीवी सेट और मोबाइल फोन बंद हो जाते हैं। हालांकि, गांव के लोगों को इसके लिए मनाना और समझना आसान नहीं था। सांगली के वडगांव की आबादी तकरीबन तीन हज़ार है। इस गांव के ज्यादातर लोग खेती से जुड़े हैं या फिर शुगर मिल में नौकरी करते हैं।
वडगांव के ग्राम प्रधान विजय मोहिते की माने तो कोरोना के दौरान यहां के बच्चे टीवी और ऑनलाइन क्लास के लिए मोबाइल फोन पर निर्भर हो गए थे। हालांकि, जब सरकार ने स्कूल खोले तब बच्चे स्कूल जाने लगे। इस दौरान बच्चों की दिनचर्या में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला। ऐसा हो रहा था कि स्कूल से लौटते ही बच्चे या तो मोबाइल फोन लेकर बैठ जाते थे या फिर टीवी देखने बिजी हो जाते थे। आलम यह था कि बच्चे तो बच्चे, बड़े भी मोबाइल में मशगूल हो जाते थे। जिसके चलते उनके बीच आपसी बातचीत का सिलसिला भी खत्म होता जा रहा था।
इस बात को गांव की महिलाऐं भी नोटिस कर रही थीं। गांव की वंदना मोहिते बताती हैं कि उन्हें अपने दो बच्चों को संभालना मुश्किल हो रहा था। दरअसल उनके दोनों बच्चे या तो पूरी तरह मोबाइल फोन में बिजी रहते थे या फिर टीवी देखते रहते थे। उनके मुताबिक जब से यह नियम शुरू हुआ तब से मेरे पति के लिए काम से लौट कर बच्चों को पढ़ाई कराना आसान हो गया है। इस वजह से अब मैं भी सुकुन से किचन में काम कर पाती हूं।
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