शेर 172
ज़िन्दगी अपनी जब इस तरहा से गुज़री ग़ालिब
हम भी क्या याद करेंगे के खुदा रखते थे
SIR GHALIB...
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ज़िन्दगी अपनी जब इस तरहा से गुज़री ग़ालिब
हम भी क्या याद करेंगे के खुदा रखते थे
SIR GHALIB...