ग़ज़ल 173

अप्रैल 2, 2023 - 04:09
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ग़ज़ल 173

हर किसी की जबान पर मैं हूँ

सातवें आसमान पर मैं हूँ

 रह गये सारे आसमां पीछे

 इतनी ऊँची उड़ान पर मैं हूँ

कुछ शिकारी है मुन्तजिर मेरे

और अपनी मचान पर मैं हूँ

जिन्दगी ! देख ले उदासी की

आखरी पायदान पर मैं हूँ

आप तो खत्म कर चुके थे मुझे

 क्या करूँ मेहरबान पर मैं हूँ

पीछा करता है जिस पर आईना

 उम्र की ऐसी ढलान पर में हूँ

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