शेर
ये वफ़ा की सख़्त राहें, ये तुम्हारे पांव नाज़ुक,
न लो इंतक़ाम मुझसे, मेरे साथ - साथ चल के...!!!
(ख़ुमार बाराबंकवी)
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
ये वफ़ा की सख़्त राहें, ये तुम्हारे पांव नाज़ुक,
न लो इंतक़ाम मुझसे, मेरे साथ - साथ चल के...!!!
(ख़ुमार बाराबंकवी)