बात तो सच है
यहाँ क्या हो रहा है कि टेलीविज़न सूचनाओं की एक प्रजाति 'सूचित होने' के अर्थ को बदल रही है- जिसे गलत सूचना कहा जा सकता है।
दुष्प्रचार का मतलब गलत सूचना नहीं है। इसका अर्थ है भ्रामक जानकारी - गलत जगह, अप्रासंगिक, खंडित या सतही जानकारी - ऐसी जानकारी जो कुछ जानने का भ्रम पैदा करती है लेकिन जो वास्तव में जानने से दूर ले जाती है।
यह कहने का मतलब यह नहीं है कि टेलीविजन समाचार जानबूझकर लोगों को उनकी दुनिया की सुसंगत, प्रासंगिक समझ से वंचित करना है। मेरे कहने का मतलब यह है कि जब समाचार को मनोरंजन के रूप में पेश किया जाता है, तो यह अपरिहार्य परिणाम होता है।
और यह कहकर कि टेलीविजन समाचार कार्यक्रम मनोरंजन तो करते हैं, लेकिन सूचना नहीं देते, मैं इससे कहीं अधिक गंभीर बात कह रहा हूं कि हमें प्रामाणिक जानकारी से वंचित किया जा रहा है। मैं कह रहा हूं कि हम अपनी समझ खो रहे हैं कि अच्छी तरह से सूचित होने का क्या मतलब है।
अज्ञान हमेशा सुधार योग्य होता है। लेकिन अगर हम अज्ञान को ज्ञान मान लें तो हम क्या करें? ???? और जब जनता अपने लिए सच्चाई का न्याय (निर्णय) करने की क्षमता से वंचित हो जाती हैं, तो कल्पना से तथ्य को अलग करने की क्षमता खो देती हैं।
~ नील पोस्टमैन
(किताब: Amusing Ourself to Death)
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