पांचवें चरण में कहां-कहां मतदान, किन उम्मीदवारों के बीच मुकाबला?
लोकसभा चुनाव 2024 के पांचवें चरण का प्रचार आज थम जाएगा। आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 49 सीटों के लिए 20 मई को मतदान होना है। इसी दिन मतदाता सियासी मैदान में उतरे 695 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।
लोकसभा चुनाव का प्रचार अपने चरम पर है। पांचवें दौर का चुनाव प्रचार शनिवार को थम जाएगा। 20 मई को होने वाले मतदान के दौरान छह राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड और दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख की कुल 49 सीटों पर मतदाता वोट डालेंगे। पांचवें दौर में जिन सीटों पर मतदान है, उनमें उत्तर प्रदेश की 14, महाराष्ट्र की 13, पश्चिम बंगाल की सात, बिहार और ओडिशा की पांच-पांच सीटें शामिल हैं। इसके अलावा, झारखंड की तीन, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की एक-एक सीट पर भी इसी चरण में मतदान होना है।
वहीं, पिछले तीन चुनाव नतीजों का इन सीटों पर विश्षलेण करें तो साफ हो जाएगा कि कैसे बीजेपी इन सीटों पर मजबूत रही है. 2009 में बीजेपी के पास सिर्फ छह सीटें थी जबकि कांग्रेस के पास 14 सीट थी. पांच साल के बाद 2014 में चुनाव हुए बीजेपी बढ़कर 27 पर पहुंच गई और 2019 में 32 सीट हो गई. कांग्रेस 14 सीटों से घटकर 2014 में घटकर कर दो सीट पर आई और 2019 में सिर्फ रायबरेली तक सीमित हो गई थी. बीजेपी का सियासी ग्राफ तेजी से बढ़ा है जबकि कांग्रेस लगातार कमजोर हुई है.
बीजेपी के लिए क्यों मुफीद है?
लोकसभा के तीन चुनाव से बीजेपी की सीटें जिस तरह बढ़ी है, उससे साफ जाहिर होता है कि कैसे इन सीटों पर उसे चुनौती देना आसान नहीं है. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने जिन 40 सीट पर चुनाव लड़ी थी, उसमें से 30 सीट पर उसे 40 फीसदी से भी ज्यादा वोट मिले थे और 9 सीटों पर उसे 30 से 40 फीसदी के बीच वोट शेयर था. कांग्रेस को सिर्फ 3 सीट पर ही 40 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे, जिनमें से एक सीट ही जीत सकी थी. कांग्रेस को 17 सीटों पर 10 फीसदी से कम वोट मिला था. कांग्रेस 36 सीट पर चुनाव लड़ी थी जबकि बीजेपी 40 सीट पर चुनावी मैदान में थी. इसीलिए माना जा रहा है कि बीजेपी के लिए पांचवें चरण का चुनाव सियासी तौर पर मुफीद माना जा रहा.
किसका किस सीट पर गढ़
पांचवें चरण में 12 सीटें ऐसी हैं, जिस पर पिछले तीन चुनाव से एक ही पार्टी को जीत मिल रही है. इसके चलते इन सीटों को उस दल के मजबूत गढ़ के तौर पर देखा जा रहा. बीजेपी के पास 5, टीएमसपी के 3, बीजेडी के पास 2, शिवसेना-कांग्रेस के पास एक-एक सीट है.ओडिशा में बीजेपी के सामने अस्का और कंधमाल को बचाए रखने की चुनौती है. महाराष्ट्र में गढ़ माने जाने बीजेपी धुले और डिंडोरी और शिवसेना का गढ़ कल्याण शामिल हैं. बीजेपी के मिशन में झारखंड की हज़ारीबाग सीट शामिल है.
पश्चिम बंगाल के हावड़ा, श्रीरामपुर और उलुबेरिया क्षेत्र टीएमसी के मजबूत गढ़ के तौर पर जाने जाते हैं. उत्तर प्रदेश में लखनऊ बीजेपी और रायबरेली सीट कांग्रेस के दुर्ग के तौर पर जानी जाती है. बिहार की मधुबनी सीट बीजेपी लगातार अपने नाम कर रखी है. इस तरह बीजेपी पांचवें चरण में मजबूत स्थिति में थी, लेकिन इस बार की चुनावी लड़ाई अलग तरीके की है. बीजेपी के लिए अपनी सीटें बचाए रखनी की चुनौती है जबकि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है. इस तरह कांग्रेस और बीजेपी के पांचवें चरण का चुनाव काफी रोचक माना जा रहा है.
पांचवें चरण में स्विंग सीटें
पांचवें चरण में चार लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां से मतदाता हर चुनाव में अपना मिजाज बदल देते हैं. इसमें बारामूला, बारगढ़, पालघर, सीतामढी लोकसभा सीट शामिल हैं, जिसे एक बार जीती हुई पार्टी अपने पास बरकरार नहीं रख पाती.इस चरण में चार सीटें ऐसी हैं, जहां जीत-हार का अंतर बहुत कम था. ये सीटें हैं उत्तर प्रदेश की कौशाम्बी, ओडिशा की बलांगीर और पश्चिम बंगाल की बैरकपुर और आरामबाग. इसी तरह से उत्तर प्रदेश की चार सीटें है, जिन पर बहुत ही कम अंतर जीत-हार का था.
यूपी-बिहार में कांटे की लड़ाई
उत्तर प्रदेश की 14 लोकसभा सीट तो बिहार की पांच सीटों पर 20 मई को मतदान है. यूपी की 14 में से 13 सीटें बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी जबकि कांग्रेस 1 सीट ही जीत सकी थी. बिहार की जिन पांच सीट पर चुनाव है, उन सभी को एनडीए ने जीती थी. जेडीयू और एलजेपी एक-एक सीट और बीजेपी तीन सीटें जीतने में सफल रही. पांचवें चरण में झारखंड की जिन तीन सीट पर चुनाव हो रहे हैं, उन सभी पर बीजेपी का कब्जा है. इसी तरह महाराष्ट्र की जिन 13 सीटों पर चुनाव हैं, उनमें से सात सीटें शिवसेना जीतने में कामयाब रही थी और बीजेपी 6 सीटें जीतने में सफल रही. एनडीए ने पूरी तरह से विपक्ष का सफाया कर दिया था.
वहीं, पश्चिम बंगाल की जिन सात सीटों पर चुनाव है, उनमें से चार सीटें टीएमसी जीतने में कामयाब रही थी जबकि बीजेपी 3 सीटें ही जीत सकी थी. पिछली बार की तरह इस बार भी कांटे की फाइट मानी जा रही है. इसके अलावा ओडिशा के पांच लोकसभा सीटों पर पांचवे चरण में चुनाव है. इन पांच से तीन सीटें बीजेपी जीतने में सफल रही थी जबकि दो सीट बीजेडी ही जीत सकी थी. इस बार बिहार से लेकर महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में विपक्ष एकजुट होकर चुनावी मैदान में है. इसके चलते बीजेपी के लिए अपनी जीती हुई सीटों को बचाए रखना आसान नहीं है?
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