हिन्दी साहित्य
हम सब एक ही समंदर की लहरें हैं, एक ही पेड़ के पत्ते हैं, एक ही बाग़ीचे के फूल हैं. -
सेनेका
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हम सब एक ही समंदर की लहरें हैं, एक ही पेड़ के पत्ते हैं, एक ही बाग़ीचे के फूल हैं. -
सेनेका