कविता
आओ न,
गले मिलने;
फूल आए
कनेर के तले
सघन छाँह में खिलने ।
~ केदारनाथ अग्रवाल
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
आओ न,
गले मिलने;
फूल आए
कनेर के तले
सघन छाँह में खिलने ।
~ केदारनाथ अग्रवाल