शेर (मिर्ज़ा ग़ालिब
मंज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते
अर्श से उधर होता काश के मकाँ अपना
???? ग़ालिब
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मंज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते
अर्श से उधर होता काश के मकाँ अपना
???? ग़ालिब