मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को क्यों नहीं होनी चाहिए सजा?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी मोदी सरनेम मामले में बुरा फंसे हुए हैं। अभी तक उन्हें कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। वैसे इस बीच अभिषेक मनु सिंघवी ने जरूर कोर्ट के सामने 6 कारण बताए हैं जिस वजह से राहुल को राहत मिलनी चाहिए।

अप्रैल 30, 2023 - 10:49
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मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को क्यों नहीं होनी चाहिए सजा?

मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को फिलहाल गुजरात हाई कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली है। मामले की अगली सुनवाई दो मई को होने जा रही है। वैसे शनिवार को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान राहुल गांधी की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कई दलीलें पेश कीं। उनकी तरफ से जोर देकर कहा गया कि जितना बड़ा अपराध नहीं, उससे ज्यादा इस मामले में सजा दी गई है। सिंघवी ने अपने तर्क रखते हुए कोर्ट के सामने 6 कारण भी गिनवाए।

  1. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जिस मामले में राहुल गांधी को इतनी कड़ी सजा दी गई है, असल में वो कोई इतना गंभीर अपराध नहीं है। हत्या, किडनैपिंग और रेप जैसे मामलों में ऐसी सजा होती है, ऐसे में राहुल आसानी से सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती दे सकते हैं।
  2. शिकायकर्ता ने अपने बयान में नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या को नामित किया है। लेकिन तीनों में से कोई भी इस केस में शिकायतकर्ता नहीं है। सिंघवी ने ये भी तर्क दिया है कि शिकायत उस शख्स ने की, जिसका कहीं जिक्र तक नहीं हुआ। देश में 13 करोड़ मोदी हैं, ये बस राजनीतिक वैमनश्य वाली शिकायत है।
  3. सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने इस बात पर भी जोर दिया कि सूरत के सेशन कोर्ट ने इस मामले में सिर्फ 10 मिनट तक सुनवाई की, लेकिन अधिकतम सजा देने का काम किया गया।
  4. अभिषेक मनु सिंघवी ने इस बात पर भी जोर दिया कि कोर्ट ने ये कहकर  राहुल गांधी की याचिका खारिज की कि इससे पहले राफेल डील को लेकर भी उन्होंने कुछ बयान दिए थे जिस वजह से सुप्रीम कोर्ट से उन्हें फटकार पड़ी. अब दलील ये दी गई है कि असल में सुप्रीम कोर्ट ने ये बात कोलर वाली घटना के भी सात महीने बात कही थी। ऐसे में सेशन कोर्ट उस बयान को सजा का आधार कैसे बना सकता है।
  5. सुनवाई के दौरान सिंघवी ने मेजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जो समन भेजा गया था, उस पर ही सवाल उठा दिया. कहा गया कि राहुल गांधी को इस मामले में मई 2019 में समन भेजा गया था, लेकिन उस समय वो समन बिना किसी साक्ष्य या सबूत के दिया गया। तकनीकी भाषा में सिंघवी ने इसे ‘शून्य अभियोजन योग्य साक्ष्य’ बताया था।
  6. सिंघवी ने ये भी तर्क दे दिया कि CrPC की धारा 313 के तरत जो बयान दर्ज किए गए, वो शिकायत होने के एक साल बाद हुआ। अभी के लिए 2 मई को भी सिंघवी अपनी दलीलें जारी रखने वाले हैं।

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