शेर
'करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाम
मुझे तो और कोई काम भी नहीं आता'
~ ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
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'करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाम
मुझे तो और कोई काम भी नहीं आता'
~ ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर