शेर
साया ए वस्ल कब से है, आपका मुंतज़िर मगर
हिज्र में जल रहें हैं आप, आप बहोत अजीब हैं
पीरज़ादा क़ासिम
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साया ए वस्ल कब से है, आपका मुंतज़िर मगर
हिज्र में जल रहें हैं आप, आप बहोत अजीब हैं
पीरज़ादा क़ासिम