स्मृति मंधाना को मिलते थे ताने कि धूप में क्रिकेट खेलकर हो जायेगी काली
स्मृति मंधाना को मिलते थे ताने कि धूप में क्रिकेट खेलकर हो जायेगी काली
स्मृति का पूरा नाम स्मृति श्रीनिवास मंधाना है। वह फिलहाल भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हिस्सा है। शांत स्वभाव और ओपनर खिलाड़ी के तौर पर आक्रामक बल्लेबाजी उनकी पहचान है। गौरतलब है कि स्मृति मंधाना एकदिवसीय क्रिकेट में मिताली राज के बाद भारत के लिए दूसरी सबसे ज्यादा अर्धशतक लगाने वाली खिलाड़ी है। हालांकि वर्तमान में वुमेंस प्रीमियर लीग में स्मृति का बल्ला बेशक सही नहीं चल रहा हो, लेकिन भारतीय टीम में इनका योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहा है।
स्मृति मंधाना का जन्म 18 जुलाई 1996 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीनिवास मंधाना है, जो जिला स्तर पर क्रिकेट खिलाड़ी रह चुके हैं। स्मृति के पिता और भाई श्रवण दोनों ने महाराष्ट्र के जिला सांगली के लिए जिला स्तर पर क्रिकेट खेला है। एक बार अपने भाई को महाराष्ट्र अंडर-16 टूर्नामेंट में खेलते हुए देखकर स्मृति मंधाना ने भी क्रिकेट में ही अपना करियर बनाने की ठानी।
एक इंटरव्यू में स्मृति मंधाना ने कहा कि मैं अपने भाई श्रवण मंधाना के साथ खेलने जाती थी। मैं उनकी नकल करती थी और उनके साथ बल्लेबाजी करती थी। इस तरह यह सब शुरू हुआ। मैंने अपने करियर के रूप में क्रिकेट को चुना। जब मैं 15 या 16 साल की थी तब मैंने महाराष्ट्र के लिए अपना पहला शतक बनाया था। मेरे सपने से ज्यादा यह मेरे परिवार का सपना था कि मैं भारत के लिए खेलूं।
स्मृति चिंतामनराव कॉलेज ऑफ कॉमर्स में बैचलर ऑफ कॉमर्स की स्टूडेंट है। क्रिकेट खेलने केंकरण स्मृति को कई बार लोगों के तानों को झेलना पड़ा है। स्मृति मंधाना ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरी मां चाहती थीं कि मैं क्रिकेट की जगह टेनिस खेलूं। बाद में उन्हें जब एहसास हुआ कि मेरे अंदर क्रिकेट को लेकर एक अलग तरह का जुनून है तो तब जाकर मेरी मां ने क्रिकेट को लेकर फैसला किया। इसके बाद मेरे माता-पिता पूरी तरह मेरे साथ रहे। स्मृति मंधाना को समाज के तानों का भी सामना करना पड़ा। शुरू में लोग कहते थे कि लड़की है, दिन भर धूप में खेलेगी तो काली हो जाएगी और फिर इससे शादी कौन करेगा।
राहुल द्रविड़ के गिफ्ट किए बैट से खेलती हैं मंधाना
महाराष्ट्र के लिए खेलते हुए स्मृति मंधाना ने गुजरात के खिलाफ वेस्ट जोन अंडर-19 टूर्नामेंट में 150 गेंदों में ही नाबाद 224 रन बनाए थे। उस समय मंधाना की उम्र केवल 17 वर्ष थी। इस मैच में उन्होंने भारतीय क्रिकेटर राहुल द्रविड़ द्वारा गिफ्ट किए गए बल्ले का इस्तेमाल किया था। मैच के बाद उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा था कि जब से मैंने द्रविड़ सर के बल्ले से खेलना शुरू किया है, तब से मैं बहुत अच्छा स्कोर कर रही हूं। स्मृति ने बताया कि एक बार बैंगलोर दौरे के दौरान उनके भाई ने राहुल द्रविड़ को मेरे बारे में बताया था तब राहुल द्रविड़ ने मुझे अपना बल्ला उपहार में दिया और तब से मैं इससे खेल रही हूं।
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