कविता
वह देखना चाहती है सिर्फ उसे मगर देख रही है
कहीं और जबकि वह देख रही टकटकी बांध
सिर्फ उसी की ओर एक-दूसरे को देखने के
ये अपने-अपने तरीके हैं
इस तरह सुनने-समझने मौन-मुखर रहने के भी
प्रेम की पहली सीढ़ी है
यह इसमें न कहकर कहा जाता है
न सुनकर सुना जाता है न देखकर देखा जाता है
अभी तो बात सिर्फ इतनी-सी है।
~ विष्णु नागर/इतनी-सी बात
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