भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मेघा-ट्रॉपिक्स-1 सैटेलाइट को डिऑर्बिट कर दिया है

ISRO ने गिराई 1000 किलो वजनी मेघा-ट्रॉपिक्स-1 सैटेलाइट, पहले इस सैटेलाइट के तीन साल तक काम करने का अनुमान था लेकिन बाद में इसने एक दशक तक डेटा उपलब्ध कराया

मार्च 7, 2023 - 23:38
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मेघा-ट्रॉपिक्स-1 सैटेलाइट को डिऑर्बिट कर दिया है

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मेघा-ट्रॉपिक्स-1 सैटेलाइट को डिऑर्बिट कर दिया है. मंगलवार शाम को नियंत्रित तरीके से धरती पर गिरा दिया गया. इस सैटेलाइट का वजन हजार किलोग्राम के करीब बताया जा रहा है. जलवायु परिवर्तन की स्टडी के लिए इसे 12 अक्टूबर 2011 को लॉन्च किया गया था. इसरो और फ्रांस की स्पेस एजेंसी CNES ने इसे लॉन्च किया था.

इस सैटेलाइन को लॉन्च करते समय अनुमान लगया गया था कि ये ज्यादा से ज्यादा तीन साल काम करेगा लेकिन भारत के मौसम और जलवायु परिवर्तन पर मिल रही अहम जानकारी को देखते हुए इस समय को बढ़ा दिया गया. इसने एक दशक तक जलवायु परिवर्तन और भारत के मौसम को लेकर जानकारी दी.

इसरो ने कहा कि मेघा-ट्रॉपिक्स-1 में अभी भी लगभग 125 किलोग्राम ऑनबोर्ड फ्यूल था, जो एक अनुमान के मुताबिक पूरी तरह से नियंत्रित वायुमंडल में फिर से घुसने के लिए काफी था. जानकारी के मुताबिक इस सैटेलाइट को गिराने के लिए प्रशांत महासागर में एक निर्जन स्थान को चुना गया था. करीब 1,000 किलोग्राम वजनी इस उपग्रह में तकरीबन 125 किलोग्राम ईंधन बचा था जिससे इसके दुर्घटनावश टूटने का खतरा पैदा हो सकता था.

UNIADC नाम की संयुक्त राष्ट्र की संस्था के लिए अपना कमिटमेंट दर्शाते हुए इसरो ने इस सैटेलाइट को डिऑर्बिट किया. इस संस्था का काम उन सैटेलाइटों पर नजर रखना है जो या तो अपना काम पूरा कर चुकी हैं या जिनकी उम्र खत्म होने वाली है ताकि उसके अपने आप गिरने से पहले उसे छोड़ने वाले देश खुद उसे सुरक्षित तरीके से नीचे गिरा दे. इससे कोई नुकसान होने की किसी भी संभावना से बचा जा सकता है.

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