हिन्दी कविता

फ़रवरी 20, 2023 - 07:13
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हिन्दी कविता

मेरे शब्द, भाव उनके हैं

मेरे पैर और पथ मेरा,

 मेरा अंत और अथ मेरा,

 ऐसे किंतु चाव उनके हैं।

 मैं ऊँचा होता चलता हूँ

उनके ओछेपन से गिर-गिर,

उनके छिछलेपन से खुद-खुद,

मैं गहरा होता चलता हूँ।

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