नज़्म
दुआ तो जाने कौन सी थी
ज़हन में नहीं बस इतना याद है
कि दो हाथ जुड़े हुए थे
इक मिरा और इक तिरा...
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दुआ तो जाने कौन सी थी
ज़हन में नहीं बस इतना याद है
कि दो हाथ जुड़े हुए थे
इक मिरा और इक तिरा...