शेर
                                मर्ज़-ए-इश्क़ है तो दवा-ए-दिल समझ दिलबर को,
फिर मर्ज़ जाने, दवा जाने, शिफ़ा जाने, ख़ुदा जाने...!!!
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                                मर्ज़-ए-इश्क़ है तो दवा-ए-दिल समझ दिलबर को,
फिर मर्ज़ जाने, दवा जाने, शिफ़ा जाने, ख़ुदा जाने...!!!