हिन्दी कविता
तुम्हारा हाथ अपने हाथ में लेकर
मैं सब जगह जाना चाहता हूं !
दो अपना हाथ मेरे हाथ में
नए क्षितिजों तक चलेंगे
साथ-साथ सूरज से मिलेंगे !
~भवानीप्रसाद मिश्र कविता "लाओ अपना हाथ" से
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
तुम्हारा हाथ अपने हाथ में लेकर
मैं सब जगह जाना चाहता हूं !
दो अपना हाथ मेरे हाथ में
नए क्षितिजों तक चलेंगे
साथ-साथ सूरज से मिलेंगे !
~भवानीप्रसाद मिश्र कविता "लाओ अपना हाथ" से