कथाकार
                                जिस बन्दे को पेट भर रोटी नहीं मिलती,,
उसके लिए मर्यादा और इज्ज़त ढोंग है
मुंशी प्रेमचंद,,,,,
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                                जिस बन्दे को पेट भर रोटी नहीं मिलती,,
उसके लिए मर्यादा और इज्ज़त ढोंग है
मुंशी प्रेमचंद,,,,,