गोरखपुर विश्वविद्यालय
गोरखपुर विश्वविद्यालय में एमए (हिन्दी) पाठ्यक्रम में 'लोकप्रिय' साहित्य (जिन्हें 'लुगदी' या 'पल्प' साहित्य भी कहा जाता है) की कई रचनाओं को शामिल करने का समाचार है. इस मामले पर जो आलोचना हो रही है, वह सही नहीं है. असल में एमए के चौथे सेमेस्टर में एक विषय 'लोकप्रिय' साहित्य का है. उसी पर्चे के लिए इन किताबों का चयन किया गया है. पॉपुलर साहित्य पर देश-विदेश के विश्वविद्यालयों पर पढ़ाई होती है, शोध होता है, अकादमिक लेख लिखे जाते हैं. एमए में ऐसे पर्चे पढ़ाना उचित पहल है. शामिल लेखकों की सूची में गहमरी और इब्ने-सफ़ी का नाम देखकर तो आनंद ही आ गया.
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