कविता
                                    भूख के दिनों में.….
खाली कनस्तर के
भीतर थोड़े से बचे,
चावलों की महक का नाम,
पिता है।।
~कवि नीलकमल
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खाली कनस्तर के
भीतर थोड़े से बचे,
चावलों की महक का नाम,
पिता है।।
~कवि नीलकमल