ये बात
न मैं होता, तो...
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गर मैं न होता, तो भी मैंने जो लिखा, उसे किसी और ने लिख दिया होता. हेमिंग्वे, दोस्तोएवस्की और तमाम लेखकों के बारे में भी यही सच है. मेरी इस इस बात का सबूत शेक्सपियर की कृतियॉं हैं. शेक्सपियर की कृतियों के लेखक होने के कम-से-कम तीन दावेदार बताए जाते हैं. लेकिन अहमियत इन दावों की नहीं कि इन्हें किसने लिखा, बड़ी बात यह है कि किसी ने तो ‘हैमलेट’ और ‘अ मिडसमर नाइट्स ड्रीम’ जैसी कृतियॉं लिखीं.
????विलियम फ़ॉक्नर, ‘द पेरिस रिव्यू’ के पन्नों पर.
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