हिन्दी साहित्य
अभी था और अभी नहीं है
के मध्य अभाव था
साकार
लेकिन होने की जगह मिट गई
खाली जगहों का भरना त्वरित है
और वह निराकार, निराधार,
निर्भार स्मृतियों में घेरता
जगह झूलता हुआ अभी था
और अभी नहीं है के बीच है।
अदृश्य अजानी अस्पृश्य अचीन्ही उसकी एक जगह है
उसकी अनुपस्थिति की जगह
[ 'वाजश्रवा के बहाने' के बहाने ]
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