कविता
वो जो तुमने मुझसे कहे है
शेष है
अक्षर शेष
सब कुछ झर रहा है
प्रेम भी
और हमारा मौन भी।
कैसी इयत्ता?
क्या यही
दुःख भर सहा है।
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
वो जो तुमने मुझसे कहे है
शेष है
अक्षर शेष
सब कुछ झर रहा है
प्रेम भी
और हमारा मौन भी।
कैसी इयत्ता?
क्या यही
दुःख भर सहा है।