कविता
तुम्हारी सभ्यता को
उसी दिन
खत्म हो जाना था
जब न मिल पाने
से बिलखे थे
दो लोग
अभी जो भी बचा है
वो बहुत कुछ है
पर सभ्यता नहीं।।
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
तुम्हारी सभ्यता को
उसी दिन
खत्म हो जाना था
जब न मिल पाने
से बिलखे थे
दो लोग
अभी जो भी बचा है
वो बहुत कुछ है
पर सभ्यता नहीं।।