कविता

अप्रैल 1, 2023 - 19:24
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कविता

तुम्हारी सभ्यता को

 उसी दिन

खत्म हो जाना था

 जब न मिल पाने

 से बिलखे थे

  दो लोग

अभी जो भी बचा है

 वो बहुत कुछ है

 पर सभ्यता नहीं।।

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