कविता
खाली रंगमंच को देखते,
मोहब्बत से भरे हुए लोग।
कितने ही कम बचे हैं ये
तानाशाहों के शहर में
जिधर देखता हूँ बस मिलते हैं
ज्यादा मोहब्बत से
डरे हुए लोग।।
WorldTheatreDay
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खाली रंगमंच को देखते,
मोहब्बत से भरे हुए लोग।
कितने ही कम बचे हैं ये
तानाशाहों के शहर में
जिधर देखता हूँ बस मिलते हैं
ज्यादा मोहब्बत से
डरे हुए लोग।।
WorldTheatreDay