कविता

मार्च 22, 2023 - 16:19
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कविता

आज कोई ज़ख़्म‍

 इतना नाज़ुक नहीं

जितना यह वक़्त है

जिसमें हम-तुम सब

 रिस रहे हैं चुप-चुप.

???? शमशेर

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