भारतीय सहित्य
"राम तुम्हारा वृत्त स्वयं ही काव्य है,
कोई कवि बन जाय,सहज संभाव्य है।"
"तुलसी अपने राम को रीझ भजो कै खीझ,
उल्टो सीधो ऊगि है,खेत परे को बीज"।।
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
"राम तुम्हारा वृत्त स्वयं ही काव्य है,
कोई कवि बन जाय,सहज संभाव्य है।"
"तुलसी अपने राम को रीझ भजो कै खीझ,
उल्टो सीधो ऊगि है,खेत परे को बीज"।।