शेर
हम ने मुद्दत से उलट रक्खा है कासा अपना
दस्त-ए-दादार तिरे दिरहम-ओ-दीनार पे ख़ाक
पुतलियाँ गर्मी-ए-नज़्ज़ारा से जल जाती हैं
आँख की ख़ैर मियाँ रौनक़-ए-बाज़ार पे ख़ाक
इरफ़ान सिद्दीक़ी
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
हम ने मुद्दत से उलट रक्खा है कासा अपना
दस्त-ए-दादार तिरे दिरहम-ओ-दीनार पे ख़ाक
पुतलियाँ गर्मी-ए-नज़्ज़ारा से जल जाती हैं
आँख की ख़ैर मियाँ रौनक़-ए-बाज़ार पे ख़ाक
इरफ़ान सिद्दीक़ी