जेरुसलम और समय

ओ जेरूसलम!!
शहर के पुराने हिस्से की एक छत पर
तीसरे पहर की धूप में सूख रहे हैं कपड़े
एक सफ़ेद चादर उस औरत की जो मेरी दुश्मन है,
एक तौलिया उस आदमी का जो मेरा दुश्मन है,
उससे पोछता है पसीना वह अपने माथे का.
पुराने शहर के आसमान में एक पतंग
उसकी डोरी की दूसरी ओर एक बच्चा,
जिसे मैं नहीं देख सकता दीवार की वज़ह से.
हमने ढेरों झंडे टाँग रखे हैं,
उनने ढेरों झंडे टाँग रखे हैं.
हमें यह दिखाने के लिए कि वे ख़ुश हैं
उन्हें यह दिखाने के लिए कि हम ख़ुश हैं.
"जेरूसलम एकमात्र ऐसा शहर है जहाँ मृतकों को भी मताधिकार दिया गया है." [यहूदा अमीखाई (जेरूसलम का एक नज़ारा)] दूसरी आलमी जंग के बाद चर्चिल को हरा कर जब क्लिमेंट एटली ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने 'जेरूसलम' नामक गीत पार्टी को समर्पित किया. इस गीत में कहा जाता है कि इंग्लैंड में हम नया जेरूसलम बनायेंगे. आज भी लेबर पार्टी इस गीत को गाती है. लेकिन, विडंबना ही है कि एटली नया जेरूसलम तो छोड़िये, पुराने जेरूसलम को भी सँभाल नहीं पाये और उन्हें उसे छोड़ना पड़ा. महाशक्तियों की मूर्खता और शातिरपना का नतीज़ा यह रहा कि अरबों और यहूदियों में भयानक दंगे और युद्ध हुए. यह फ़ित्ना आज भी बदस्तूर जारी है. मक्का और मदीना के बाद अल-अक्सा इस्लाम की तीसरी सबसे पवित्र जगह है. उमर के बाद उम्मयद खलीफाओं- अब्द अल मलिक और उसके बेटे अल-वालिद ने 705 में इसे विस्तार दिया. साल 746 में भूकंप में पूरी तरह तबाह होने के बाद इसे अब्बासी खलीफा अल-मंसूर ने 754 में बनवाया. साल 780 में इसे फिर से बनाया गया. साल 1035 में इसे फातमी खलीफा अली अज जहीर ने तब बनवाया, जब यह 1033 के भूकंप में गिर गया था. मौजूदा मस्जिद का डिजाइन उसी मस्जिद की तर्ज पर है. जो अल-अक़्सा में हो रहा रहा है,
उसे देख कर आयरिश स्वतंत्रता सेनानी बॉबी सैंड्स का कहा याद आता है- हमारे बच्चों की हँसी हमारा बदला होगी.
(तस्वीर साभार: अम्मार अवाद/रॉयटर)
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