खबर फ्रांस से
फ़्रांस में राष्ट्रपति मैकराँ ने संसद को ठेंगा दिखाया है, उससे एक बार फिर साबित हुआ है कि पाश्चात्य लोकतंत्रों में उदारवादी लोकतंत्र नाम की चीज़ का अब कोई औपचारिक अस्तित्व भी नहीं रह गया है. इसके नाम पर जो लोकतंत्र है, वह भ्रष्ट है, छद्म है, झूठा है, बेईमान है. वह उदारवादी लोकतंत्र है ही नहीं. जिस तरह से लोग राष्ट्रपति की तानाशाही के विरुद्ध ज़ोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं, वह ग़ज़ब है. यूरोप के कई देशों में बीते कुछ समय से विरोध प्रदर्शन बढ़े हैं, जीवन स्तर निम्न होता जा रहा है और सरकारें गाल बजा रही हैं. फ़्रांस से यूरोप की बेहतरी और बदतरी के रास्ते निकलेंगे.
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