राजनीति की जगह
राजनीति की जगह सदन और सड़क होनी चाहिए. जिन देशों में पश्चिमी देशों का लोकतंत्र कॉपी-पेस्ट किया गया है, वहाँ भी यही सिद्धांत लागू होता है. चाहे वह रुबिकॉन नदी पार करना हो या साठ के दशक का यूरोप को देखा जाए. इसी देश के तमाम आंदोलनों को भी देखा जा सकता है. देश की सबसे बड़ी अदालत में आज की एक सुनवाई के बारे में क़ानूनी मसलों की सबसे भरोसे साइटों की रिपोर्टिंग देखा, वह भी इसलिए कि एक पत्रकार ने कई घंटे पहले उस बारे में ट्वीट किया था, तो देखा. रिपोर्ट में लिखा है कि विपक्ष के वकील को लगा कि जज उसकी दलील से सहमत नहीं हो रहे हैं, तो उसने अपनी याचिका वापिस ले ली. जिस दिन यह याचिका दाख़िल हुई थी, उस दिन तीन विपक्षी सांसदों को मैंने एक मैसेज भेजा था कि क्या होगा. उसमें विश्लेषण नहीं था, बस राहत इंदौरी का एक शे'र भेजा था-
सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवक़ूफ़
सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए
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