कुमार गंधर्व
कुमार जन्मशती : आठ अप्रैल २०२३ मुम्बई
“जिस समय कुमार गन्धर्व ने भारतीय संगीत जगत में पाँव रखा, ख़याल-गायकी अपना सारा लचीलापन खो चुकी थी और उतनी ही रूढ़िग्रस्त थी जितना बैसाखियों पर टिका हुआ ध्रुपद। तराना का मतलब था चाहे जैसे मनमाने ढंग से जुबान को तोड़ा-मोड़ा जाये; टप्पा एक नीरस सरकसी उछल-कूद बन कर रह गया था; भजन अभी मंत्र-पाठ के स्तर पर ही था और कुल मिलाकर पूरा का पूरा संगीत ही अपने सभी रूपों में अजीब जड़ता और गतिरोध का शिकार था। कुमार गन्धर्व ने लगभग अकेले अपने बूते पर इस दमघोंट परिस्थिति को बदलने की कोशिश की। उनके इस प्रयत्न में भरपूर निष्ठा और अचूक स्वर-संवेदना तो थी ही, उन बारीक ब्योरों के निर्वाह की भी ऐसी अभूतपूर्व सजगता थी जिन्हें अधिकतर संगीतजन जानबूझकर अनदेखा कर रहे थे।”
- अशोक रानाडे
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