कविता
गर न होती पेट की मजबूरियाँ,
कौन सहता सहजनों की दूरियाँ।
कुंवर बेचैन
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गर न होती पेट की मजबूरियाँ,
कौन सहता सहजनों की दूरियाँ।
कुंवर बेचैन