कविता

मार्च 23, 2023 - 00:08
 0  31
कविता

57 साल के अंतराल पर

 एक रस्सी और कुछ गोलियों ने

 ये मान लिया कि उन्होंने मार डाला है

विद्रोह को

 एक 23 वर्षीय जिसकी दुल्हन थी आज़ादी

 एक 37 वर्षीय जो खिलाफ था

 हर दिन वाली हर बात के

 उस तारिख ने बिखेर दीं

उनकी उन्मुक्त रूहें ब्रह्माण्ड में

 ताकि फले -फूले कवितायेँ

और चाहे रूखी सख्त ज़मीन को

चीर के निकलती जंगली घास में ही

 ज़िंदा रहे क्रांति !

 BhagatSingh - Paash

आपकी प्रतिक्रिया क्या है?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow