राहुल गांधी संभलकर बोलना चाहिए, जज ने दी राहुल गांधी को नसीहत
गुजरात के सूरत में सत्र अदालत ने गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने राहत की मांग की थी। राहुल को मानहानि केस में 2 साल की सजा मिली है।
गुजरात के सूरत में सत्र अदालत ने गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी। मोदी सरनेम केस में आपराधिक मानहानि के दोषी करार दिए गए राहुल गांधी ने राहत की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। 2019 के केस में 2 साल की सजा मिलने के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी छिन चुकी है। सीजेएम कोर्ट के 23 मार्च के फैसले को चुनौती देते हुए राहुल गांधी ने सेशंस कोर्ट में अपील दायर की थी। यहां से झटका लगने के बाद अब उन्हें हाई कोर्ट का रुख करना होगा।
सेशंस कोर्ट ने अपने 27 पेज के ऑर्डर में राहुल गांधी के पद और कद का जिक्र करते हुए नसीहत दी कि उन्हें शब्दों का चयन संभलकर करना चाहिए। जज आरपी मोगेरा ने यह भी माना है कि राहुल गांधी की ओर से कही गई बात से शिकायतकर्ता को मन-मस्तिष्क को चोट लगी है। कोर्ट ने कहा, 'इस तथ्य में कोई विवाद नहीं कि याचिकाकर्ता संसद के सदस्य थे और दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष थे और ऐसे कदम को देखते हुए उन्हें अपने शब्दों को लेकर अधिक सतर्क होना चाहिए, जिसका लोगों की दिमाग पर बड़ा असर हुआ होगा। अपीलकर्ता के मुंह से निकले कोई भी अपमानजनक शब्द पीड़ित व्यक्ति को मानसिक पीड़ा देने के लिए पर्याप्त हैं।'
एचटी ने फैसले की कॉपी देखी है। इसमें लिखा है कि मोदी सरनेम वाले लोगों की तुलना चोरों से करने से निश्चित तौर पर शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा को चोट पहुंची और मानसिक पीड़ा हुई, जो सार्वजनिक रूप से सक्रिय हैं। सेशंस कोर्ट के फैसले का मतलब है कि कांग्रेस नेता की अयोग्यता जारी रहेगी। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद 24 मार्च को केरल के वायनाड से उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया गया था। 3 अप्रैल को निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए राहुल गांधी ने याचिका दायर की थी जिस पर 13 अप्रैल को 5 घंटे से अधिक समय तक दोनों ओर से दलीलें रखी गईं।
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