अब तो एकल फैमिली भी टूट रही, शादी का कॉन्सेप्ट ही खत्म हो जाएगा!
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक इवेंट में कहा कि अब एकल परिवार भी टूटने लगे हैं। अगर इसे रोका नहीं गया तो वह दिन दूर नहीं जब समाज में शादी का कॉन्सेप्ट ही खत्म हो जाएगा।
'जाने-अनजाने ही सही, लोग अपने घर-परिवार से दूर होते जा रहे हैं। लोग शहरों में कमाने गए, वहां अच्छे से सेट होने के बाद वहीं रहने लग गए। कभी जरूरतों तो कभी मजबूरियों के चलते बूढ़े मां-बाप गांव में ही रह गए।' भारत में संयुक्त परिवारों की घटती संख्या से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बेहद चिंतित हैं। उन्होंने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में अपनी चिंता जाहिर की।
राजनाथ सिंह ने कहा कि अब तो एकल परिवार (न्यूक्लियर फैमिली) भी टूटने लगे हैं... अगर इस रफ्तार को रोका नहीं गया तो वह दिन दूर नहीं जब समाज में विवाह का कॉन्सेप्ट ही खत्म हो जाएगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि ग्लोबलाइजेशन के बाद जिस प्रकार से वर्क कल्चर बदला है, उससे समाज पर जाने-अनजाने में नकरात्मक प्रभाव यह पड़ा है कि लोग अपने घर-परिवारों से दूर होते जा रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'मैं कहीं एक लाइन पढ़ रहा था कि पेड़ गांव में ही रह जाता है और फल शहर जाता है... यह लाइन हमारे वर्तमान समाज को बड़े बारीकी से व्यक्त करती है।'
राजनाथ सिंह ने कहा कि 'वेस्टर्न कल्चर के प्रभाव में आकर जॉइंट फैमिलीज खंडित हुईं और समाज में न्यूक्लियर फैमिलीज का चलन बढ़ा। कुछ लोगों ने तर्क भी दिया कि जॉइंट फैमिलीज में नवदंपती को जरूरी स्पेस नहीं मिल पाता है। इसका हल आया कि समाज में न्यूक्लियर फैमिलीज बननी शुरू हुईं। लेकिन सामाजिक बदलावों की अपनी एक गति होती है... एक दिशा होती है जो शुरू होने के बाद उसी ओर आगे बढ़ती रहती है।'
राजनाथ सिंह ने कहा कि यह पसंद की स्वतंत्रता का मामला प्रतीत हो सकता है, लेकिन वास्तव में यह मनुष्य को अकेलेपन की ओर धकेलने वाला एक बड़ा सामाजिक संकट है जिससे बचने की आवश्यकता है। कई चिकित्सा अध्ययन बताते हैं कि अकेलापन व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक समस्याओं का मूल कारण है। हमें आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है कि क्या हम तथाकथित आधुनिकता के नाम पर अपनी सामाजिक भलाई को नष्ट कर रहे हैं।
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?