शेर (अपनी मंजिल पर )
अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी
कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी
शकील आज़मी
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी
कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी
शकील आज़मी