शेर
जिस पे तेरी नज़र नहीं होती
उस की जानिब ख़ुदा नहीं होता
मैं कि बे-ज़ार उम्र भर के लिए
दिल कि दम-भर जुदा नहीं होता ...
जिगर मुरादाबादी
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?
जिस पे तेरी नज़र नहीं होती
उस की जानिब ख़ुदा नहीं होता
मैं कि बे-ज़ार उम्र भर के लिए
दिल कि दम-भर जुदा नहीं होता ...
जिगर मुरादाबादी