ग़ज़ल

अप्रैल 1, 2023 - 00:48
अप्रैल 1, 2023 - 01:03
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ग़ज़ल
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लुत्फ़ इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है

 रंज भी इतने उठाए हैं कि जी जानता है

 जो ज़माने के सितम हैं वो ज़माना जाने

तूने दिल इतने दुखाए हैं कि जी जानता है

तुम नहीं जानते अब तक ये तुम्हारे अंदाज़ वो

 मेरे दिल में समाए हैं कि जी जानता है

 इन्हीं क़दमों ने तुम्हारे इन्हीं क़दमों की क़सम

 ख़ाक में इतने मिलाए हैं कि जी जानता है

 दोस्ती में तेरी दरपर्दा हमारे दुश्मन

इस क़दर अपने पराए हैं कि जी जानता है

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