किताबें

मार्च 23, 2023 - 00:53
मार्च 23, 2023 - 09:11
 0  21
किताबें

एक महान दार्शनिक 'सुकरात' जो अपने शब्दों के लिए लड़ा। अपने विचारों को जन जन तक पहुँचाने को ही जीवन उद्देश्य मान वह प्रतिपल जीवन रुपी रणभूमि में लड़ता रह सकता था लेकिन जिस क्षण रणभूमि में फारसियों के खिलाफ उसे वास्तव में युद्ध लड़ना पड़ा वह अंदर से टूट गया।

उस युद्धभूमि में उसे अपने लोगों को बचाना था। उसे 'जीवन' बचाने हेतु लड़ना और जीतना पड़ा। लेकिन ठीक उन्ही पलों में वह अपने अंदर कुछ हार भी गया।

इस शरीरिक जीत के लिए लोग बाग हज़ारों बिगुल बजा कर उसका अभिषेक करना चाहते थे लेकिन वह उन सब के बीच जाने से बच जाना चाहता था। वह कहीं दूर किसी शून्य अवस्था में चला जाना चाहता था। उस वक़्त जीत का अभिषेक उसके लिए कोड़ों की मार से बजबजाए घाव जैसा था। क्योंकि उसे चहुँओर बस हार दिख रही थी। एक सदी की मानसिक हार।

 लोगों में ऐसी क्षुधा पनपने लगी थी जो बस लड़ाई-झगड़ा और मार काट से जीतना चाहती थी। यह उनके मस्तिष्क की सबसे बड़ी हार थी।

एक दार्शनिक सबके सामने अपने विचार प्रस्तुत करता है लेकिन जो विचार उसके हैं ही नहीं उसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता। वह आखिरी साँस तक युद्ध कर सकता है लेकिन केवल अपने विचारों के लिए। और इसके लिए उसे विष भी पीना पड़े तो उसे कोई दुःख नहीं होता। इस युद्ध में सुकरात को दो घाव मिले। एक उसके पैरों पर लगा था। और दूसरा उसके कलेजे को छलनी कर चुका था। इस दोगुने दर्द से उसकी आत्मा बहुत पहले ही मर चुकी थी, ज़हर ने तो केवल शरीर खत्म किया।

 --------------------------------------------------

रीडिंग स्लम्प से निकलने के लिए मैं हमेशा छोटी किताबों का चयन करती हूँ जैसे कविताएं, लघु कहानी संग्रह, सेल्फ हेल्प और नाट्य पुस्तकें। बर्तोल्त ब्रेख्त की कहानी "सुकरात का घाव" के नाट्य रूपान्तरण में कहानी का मर्म और नाटक के मंचन की गूँज दोनों दृश्यमान हैं।

किताब ऐमज़ॉन पर उपलब्ध है।

आपकी प्रतिक्रिया क्या है?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow