कुछ रामचरितमानस से

निर्मल मन जन सो मोहि पावा
मोहि कपट छल छिद्र न भावा ।
तुलसी के मानस में राम जी कह रहे हैं कि मुझे पाने के लिए निर्मल मन का होना जरूरी है अर्थात निर्मल मन वाले मनुष्य ही ईश्वर तक पहुंच सकते हैं...मुझे कपट, छल जैसे दोष पसंद ही नहीं हैं।
आप चाहे जितना व्रत, तप कर लें..मंदिर मंदिर घूम लें, ध्यान लगाने का पाखंड कर लें, राम के करीब ही नही जा सकते । हां ऐसा सब करने से ब्रांडिंग अवश्य आसमान छू सकती है.
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