खबर की खबर
बहुत साल पहले की बात है. लगभग तीन-साढ़े तीन दशक दशक हुए. एक चाचा थे- सिद्धनाथ चाचा, जो पड़ोस के गाँव के थे और मेरे पिता उन्हें भैया कहते थे. उनके आने पर हम बच्चे सावधान की मुद्रा में हो जाते थे, पर वे अत्यंत प्रिय और आदरणीय इसलिए थे और हैं कि वे बड़ों को डाँटते थे.
एक दफ़ा मेरे पिता ने उनसे कुछ मामला बताया और उन्होंने उन्हें ज्ञान दिया. आज तक वह बात मंत्र के रूप में ज़ेहन में पैबस्त है.
वह बात यह है- गदहा अगर दुलत्ती मारेगा और तुम भी उसे दुलत्ती मारोगे, तो तुममें और गदहे में क्या अंतर रह जायेगा!!
आपकी प्रतिक्रिया क्या है?