आदिपुरुष केस में इलाहाबाद HC की टिप्पणी कहा, कुरान पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाओ और देखो क्या होता है
कोर्ट ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को प्रतिबंध की मांग करने वाली याचिकाओं के जवाब में अलग-अलग हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में हिंदी फिल्म आदिपुरुष पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने फिल्म निर्माताओं से धार्मिक ग्रंथों से दूर रहने और उनके बारे में फिल्में नहीं बनाने का आग्रह किया। कोर्ट ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को प्रतिबंध की मांग करने वाली याचिकाओं के जवाब में अलग-अलग हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति चौहान ने यह भी कहा कि कुरान पर गलतियों को दर्शाने वाली एक छोटी डॉक्यूमेंट्री भी बड़े पैमाने पर हलचल पैदा करेगी। कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा, "यदि आप कुरान पर गलत चीजों को दर्शाने वाली एक छोटी डॉक्यूमेंट्री भी बनाते हैं, तो आप देखेंगे कि क्या हो सकता है।"
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और श्रीप्रकाश सिंह ने कहा, ''आप लोगों को कुरान और बाइबल को भी नहीं छूना चाहिए। मैं यह क्लियर कर दूं कि किसी एक धर्म को मत छुओ। आप लोग किसी भी धर्म के बारे में गलत तरह से मत दिखाइए। कोर्ट का कोई धर्म नहीं है।'' आगे उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म निर्माता केवल पैसा कमाना चाहते हैं।
अदालत ने कहा, ''रामायण के कई पात्रों की पूजा की जाती है और उन्हें फिल्म में कैसे चित्रित किया गया है। फिल्म 16 जून को रिलीज हुई थी। अब तक कुछ भी नहीं हुआ है। तीन दिन में क्या होगा?'' सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए लगातार कुछ न कुछ किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा, "फिल्म निर्माता को अदालत में पेश होना होगा। यह कोई मजाक नहीं है।''
बेंच में शामिल एक जज ने कहा, ''कई लोगों ने मुझसे कहा है कि वे फिल्म से आहत हुए हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पूरी फिल्म नहीं देख सके। जो लोग भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी में आस्था रखते हैं, वे फिल्म नहीं देख पाएंगे।''
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