'हम मोदी के प्रशंसक हैं', प्राण प्रतिष्ठा से पहले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के बदले सुर

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने रविवार को पीएम मोदी की तारीफ की। उन्होंने मीडिया बातचीत में कहा कि हम मोदी विरोधी नहीं हैं। मैंने कई बार कहा है कि उनके पीएम बनने से भारत के हिंदुओं का स्वाभिमान जाग गया है। हम किसी की आलोचना नहीं कर रहे हैं।

जनवरी 21, 2024 - 22:43
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'हम मोदी के प्रशंसक हैं', प्राण प्रतिष्ठा से पहले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के बदले सुर

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने रविवार को पीएम मोदी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि हम मोदी विरोधी नहीं हैं। मैंने कई बार कहा है कि उनके पीएम बनने से भारत के हिंदुओं का स्वाभिमान जाग गया है। हम किसी की आलोचना नहीं कर रहे हैं। हम उनकी प्रशंसा करते हैं।

बता दें कि, 22 जनवरी 2024, सोमवार को अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इससे ठीक एक दिन पहले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का बयान सामने आया है। उन्होंने पहले कई बार श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन को लेकर सवाल उठाए थे, हालांकि रविवार को उन्होंने इससे उलट बयान दिया और पीएम मोदी की तारीफ की।

शंकराचार्य ने कहा, "सच्चाई ये है कि पीएम मोदी ने हिंदुओं को आत्म-जागरूक बनाया है जो छोटी बात नहीं है। हमने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा है कि हम मोदी विरोधी नहीं बल्कि उनके प्रशंसक हैं। भारत के दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री का नाम बताइए जिसने पहले भी मोदी की तरह हिंदुओं को मजबूत किया हो? हमारे कई प्रधानमंत्री रहे हैं और वे सभी अच्छे रहे हैं - हम किसी की आलोचना नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने सवाल करते हुए आगे कहा, “जब अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया तो क्या हमने इसका स्वागत नहीं किया? जब नागरिकता संशोधन कानून आया तो क्या हमने इसकी प्रशंसा नहीं की? क्या हमने पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान में बाधा डाली? हमने इस बात की भी सराहना की कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से भूमि पर राम मंदिर बनाए जाने के फैसले के बाद कानून और व्यवस्था की स्थिति में कोई व्यवधान नहीं आया।''

इससे पहले शंकराचार्यों ने अलग-अलग कारण बताकर राम मंदिर उद्घाटन से किनारा कर लिया। हालांकि रामलला प्राण प्रतिष्ठा का इन शंकराचार्यों ने समर्थन भी किया है। मामले पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि मंदिर अभी पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हुआ है और उससे पहले प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जानी चाहिए। अधूरे भगवान की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों में निषेध है।

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