शेर
मैं ख़ुद ही रोज़ तमन्ना में आप शाम-ए-फ़िराक़
अजब नहीं जो अकेली भरे नगर में रहूँ
~ अदा जाफ़री
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मैं ख़ुद ही रोज़ तमन्ना में आप शाम-ए-फ़िराक़
अजब नहीं जो अकेली भरे नगर में रहूँ
~ अदा जाफ़री