कविता

फ़रवरी 24, 2023 - 01:13
 0  19
कविता

"बड़े आये" -------

बड़े बड़े ख़्वाब थे उसके भारी थे

इतने कि जंग के वक़्त चढ़ नहीं पाया

उन्हें लेकर किलों पर ।

नहीं चाटे तलवे मुनाफिकों के 

नहीं देखा मालिकों के जूतों की पॉलिश में अपनी शक़्ल

 सो रह गया ताउम्र

 वो छोटा आदमी

इतना छोटा कि हर कोई कह देता है

 'अरे चलो बड़े आये' ।

 राज कुँवर त्रिपाठी...

आपकी प्रतिक्रिया क्या है?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow