कविता
बिना पासपोर्ट के चलता रहेगा
ब्रह्माण्ड में आत्माओं का कारोबार
सबकी करेंसी हो जायेगी लय,
हवा की करेंसी में
और किसी डाल पर बैठा एक परिंदा
गाएगा मीर का एक मिसरा --
‛मैं और यार और मेरा कारोबार और !’
~ केदारनाथ सिंह १९/३/२०१८ पुण्यतिथि
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